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इक तलक वो आएंगे

एक चिड़िया अपने बच्चों को, ममता-से सहला रही थी छोटे छोटे तिनकों को चुन वो, अपना नीड़ बना रही थी अगले दिन जब गुजरा वहां से चिड़िया बच्चों को दाना खिला रही थी बेखबर- बेरहम दुनिया से अपनी ही दुनिया बना रही थी कुछ दिन बाद वही चिड़िया, बच्चों को उड़ना सीखा रही थी माँ- …

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अक्स

कैसे ढूँढू अक्स इस अंधी भीड़ में किन आँखो में तोलु किस किसकी आँखो से तराशु गुमा हुआ मेरा अक्स मैं जबसे है जाना बिगड़ी तस्वीरों को इंसान की नज़र से डरा मैं खुद का हूँ खोया जब कभी पाया तन्हाई में ये अक्स मैं किस किस राह भेजा गया अक्स मेरा तोड़ा समेटा फिर …

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वार्ता (धरती और पंछी के मध्य )

उड़ता हुआ परिंदा हूँ किसकी मुझे तलाश है ओज लिया है सीने में उड़ने को सारा आकाश है किया जीवन में कुछ की नहीं अनसुलझी, अनकही अद्भुत ये जो प्यास है उड़ता हुआ परिंदा हूँ किसकी मुझे तलाश है निकला एक दिन नीड से बातें करता बादलों की भीड़ से जिंदगी की जुस्तजू से हार …

Poem_RK

Maza toh hai intezarr me . . .

Ek waqt tha jab me tera, tu meri hua karti thi, Ek waqt tha jab hamari bhi mulakaat hua karti thi Wo bagicho me ham bhi kabhi din bhar betha karte the Ankho hi ankho me ek duje ko ham samjha karte the Mar mitne ko taiyar the ek duje k ham waste Par samaaj …

Kabeer

सपने

बादल के एक कोने में, पलकों को अपनी मूँद, अपनी बारी का इंतज़ार करती , थी मैं एक छोटी सी बूँद. जा मिलना था मुझे उस गिरती बारिश के साथ, पहुँचना था धरा, करनी थी सपनों से बात. घूमना था ख़ानाबदोश सा मुझे, बनके नदिया का पानी, या फिर सागर के तल जा, सुलझानी थी …

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Chai

आ चल ज़रा कुछ घूम के आयें चाय के प्याले के संग कुछ बातें कर आयें आज काम का मूड नहीं कुछ, चाय पी शायद बन जाये ऐसे ही कुछ जुड़े जब दोस्त बन गए चाय के साथी। घूंट घूंट चाय के संग घंटो बतियाना इधर उधर की सच में थोडा झूठ मिला कर हंसी …

pakistan

Ab Pakistan hai voh…..

Bio: Partition, the word itself brings mixed emotions, it gives a feeling that now, you have something of your own, at the cost of something else, and the fact that  partition took place says that we have already agreed to pay the cost. This poem is about those who payed/are paying the emotional cost of partition. …

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काश हम कभी बड़े ही ना होते

पहुँच गए हम उस बीते वक़्त में जब खिलौने ही दोस्त होते थे लगता था संग दिल उनके उनके टूटने पर ही हम रोते थे | अब तो जैसे दिल टूटना खेल हो गया दिल तोड़ने वालो से जो मेल हो गया दिलदार ही अक्सर दिल तोड़ देते हंसने कर हर तरीका फेल हो गया | …

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अनकही

जिंदगी में कई बार बहुत सी बातें अनकही रह जाती हैं, वो भी उन लोगों से … जिनसे आप शायद अपनी हर बात बयाँ करते हैं कॉलेज के  सफ़र के इन दिनों में शायद आपके साथ भी कई बार ऐसा हुआ  होगा कि दोस्तों के साथ बातें ख़त्म होने का नाम ही नहीं लेती …पर फिर भी कुछ …

India-Muslims2

Shikayat

Introduction: The following poem is an attempt to bring to light the plight of the infamous “Moderate Muslims” of India. This is a term created by the media to patronize a section of Muslim population. Ironically, the same sets of people are often seen by contempt by the other side. Since being based on a …