अक्स

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कैसे ढूँढू अक्स इस अंधी भीड़ में

किन आँखो में तोलु

किस किसकी आँखो से तराशु

गुमा हुआ मेरा अक्स मैं

जबसे है जाना बिगड़ी तस्वीरों को

इंसान की नज़र से डरा मैं

खुद का हूँ खोया जब कभी

पाया तन्हाई में ये अक्स मैं

किस किस राह भेजा गया अक्स मेरा

तोड़ा समेटा फिर जोड़ा

गिना जब सजी दरारो को उसमे

नया बनते देखा ये अक्स मैं

एक अक्स से डरा

तो किसी एक को चाहा मैं

कई अक्स जीने के बाद भी

एक ही अक्स रहा मैं

इंसान का अक्स रहा मैं

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