काश हम कभी बड़े ही ना होते

toypic

पहुँच गए हम उस बीते वक़्त में

जब खिलौने ही दोस्त होते थे

लगता था संग दिल उनके

उनके टूटने पर ही हम रोते थे |

अब तो जैसे दिल टूटना खेल हो गया

दिल तोड़ने वालो से जो मेल हो गया

दिलदार ही अक्सर दिल तोड़ देते

हंसने कर हर तरीका फेल हो गया |

बचपन पे घुटनों पर ज़ख़्म होते थे

वही दर्द देते थे , उन्ही के लिए रोते थे

जब तो छुपे ज़ख़्म दिल में होते हैं

झूठे मुस्कुराते, अब हम नहीं रोते हैं |

माँ की गोद कितनी सुहानी लगती थी

सुनाती थी जो वो, हसीं वो कहानी लगती थी

अब तो अक्सर गुमनाम कहानी हमारी बन जाती है

सुबह दुनिया हमारी बनती, शाम को बेगानी बन जाती है |

तब ना जाने कितने ही दोस्त हुआ करते थे

खेलते थे संग, अटूट हिस्सा वो दिन का हुआ करते थे

अब तो यार बस गिनती के रह गए

कुछ खो गए चलते-चलते, कुछ चुप रह गए |

पापा से तब  डर बड़ा लगता था

हर शब्द उनका सख्त बड़ा लगता था

अब तो पत्थर सी हर किसी की बात लगती है

कहते थे वो जो सही अब हर बात लगती है |

काश समय को थाम पाना मुमकिन होता

बीते उस वक़्त में रह पाना मुमकिन होता

काश हम कभी बड़े ही ना होते

रहते उस बचपन में, बचपन ना खोते |

Leave a Reply

Connect with Facebook

*