बात जो दिल को छू जाए, वो कहाँ से लाउँ दोस्तों,
गीत मधुर मिलन के तुम्हें, कैसे सुनाउँ दोस्तों,
और मेरा देश में तो जगह-जगह बारूद बिछा है,
फिर तुम्हें कैसे लोरी सुनाउँ दोस्तों!
जाने क्या सुनेंगे आप, और जाने क्या गायूंगा मैं
और दर्द को भला दिल में, कब तक छुपा पायूंगा में
मैं वक़्त से पंजा लड़ाने की हिम्मत करने वाला
लिखते-लिखते पानी था और गाते-गाते आग हो जायूंगा मैं!
आज १५ अगस्त है, हर जगह जश्न मनाया जा रहा है
जश्न भी किस चीज़ का – एक काल्पनिक आज़ादी का
आज़ादी जो हमें कभी मिली ही नहीं
सुबह-सुबह झंडा फहरा दिया, राष्ट्रगान गा लिया
दो-चार गीत गा लिए देश भक्ति के
और हमने समझा हो गयी देश भक्ति!
अगर हमें वाक़ेया में आज़ादी मिल गयी है
तो क्यूँ नहीं हम राष्ट्रगान रोज गाते
क्यूँ नहीं झंडा रोज फहराते
क्यूँ हमें आज ही के दिन
आज़ादी और देश भक्ति की याद आती है
बंद कर दो ये ढोंग
मत देखो झूठे सपने कि देश उन्नति की राह पर है
अत्याचारी, भ्रष्टाचारी ये नीति आज के राज की है
नहीं मिली आज़ादी हमको,
गुलाम हम आज भी हैं!
मत भूलो वो धमाके, मत भूलो वो बिखरी लाशें
मत भूलो वो नज़रें, जो ताक रही थी अंधेरा
पर कब्र में सोया था कोई उसका अपना
मत भूलो वो दामिनी पर हुआ अत्याचार
मूक बनकर देख रहे थे, हम उसकी आपबीती
और हमारे नेता खेल रहे थे, वोटों की राजनीति !
तो क्यूँ ना मैं विद्रोह करूँ, क्यूँ ना मैं पूछूँ
कि किस आज़ादी का जश्न हम आज मना रहे हैं ?
“आज़ादी”- आज़ादी जो हमें कभी मिली ही नहीं
पहले वो विदेशी अंग्रेज थे, आज स्वदेशी अंग्रेज हैं
नहीं मिली आज़ादी हमको,
गुलाम हम आज भी हैं
हर तरफ बलात्कार, भ्रष्टाचार का दैत्य खड़ा है
हर तरफ नफ़रत- हिंसा का साम्राज्य चल रहा है
हर तरफ सभ्यता का गला घोंटा जा रहा है
हर तरफ भूखों को गोली खिलाई जा रही है
हर तरफ नंगों को हथियार पहनाए जा रहे हैं
हर तरफ सूखे कंठ से जेहादी नारे लगवाए जा रहे हैं
कलकता के फुटपातों पर, आँधी-पानी सहते हैं
उनसे पूछो की १५ अगस्त के बारे में वे क्या कहते हैं!
आज़ादी के परवानों का था जो एक सपना
कि होगा एक अखंड भारत अपना
वो खंड-खंड आज हो गया है!
है मैंने देखे, आँसू! उस किसान के
जिसकी रोटी का भोग ये नेता लगा रहे
अनदेखा कर लाशों को उनकी,
परमाणु करार हैं कर रहे!
तो कैसे कह दूं कि हम आज़ाद हो गये?
नहीं मिली आज़ादी हमको,
गुलाम हम आज भी हैं!
हाँ! हमें आज जागना है
फिर से वही इतिहास दोहराना है
आज देश के हर युवा को
हिन्दुस्तानी होने का फर्ज़ निभाना है!
और ध्यान रखना है कि
जो पाया उस में खो ना जाएँ
जो खोया उसका ध्यान करें!
जो खोया उसका ध्यान करें!